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समुद्री बैक्टीरिया से ठीक होगा स्‍तन कैंसर

11-24-2024 05:13 PM


स्तन कैंसर के उपचार में समुद्री एल्कलॉइड की चिकित्सीय क्षमता और अनुप्रयोग
स्तन कैंसर दुनिया भर में महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा है। हालाँकि 5 साल की उत्तरजीविता दर अपेक्षाकृत अधिक है, लेकिन आवर्ती और मेटास्टेटिक स्तन कैंसर का इलाज करना चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। मौजूदा कैंसर रोधी दवाओं के साथ अक्सर प्रतिकूल प्रतिक्रियाएँ होती हैं; इसलिए, सुरक्षित और अधिक प्रभावी उपचार विकल्पों की खोज करने की तत्काल आवश्यकता है। समुद्री प्राकृतिक यौगिक, विशेष रूप से एल्कलॉइड, अपनी अनूठी रासायनिक संरचना और जैविक गतिविधियों की विस्तृत श्रृंखला के कारण नई कैंसर रोधी दवाओं का संभावित खजाना माने जाते हैं। स्तन कैंसर के खिलाफ़ विभिन्न प्रकार के समुद्री एल्कलॉइड, जिनमें एक्टिनासिडिन, हैलीकॉन्ड्रिन, मैन्ज़ामिन और ट्रैबेक्टेडिन शामिल हैं, ने सेल एपोप्टोसिस और ऑटोफ़ैगी को प्रेरित करने, सेल चक्र को अवरुद्ध करने, एंजियोजेनेसिस को बाधित करने, ऑन्कोजीन मार्गों को लक्षित करने और मेटास्टेसिस और आक्रमण को रोकने जैसे कई तंत्रों को नियोजित करके स्तन कैंसर के उपचार के लिए नए रास्ते खोले हैं। वर्तमान में, योंडेलिस (ट्रैबेक्टेडिन) ने स्तन कैंसर के रोगियों में चरण II नैदानिक ​​परीक्षण पूरा कर लिया है और कुछ प्रभावकारिता दिखाई है। हालांकि, समुद्री एल्कलॉइड के नैदानिक ​​अनुप्रयोग को अभी भी और अधिक शोध और विकास की आवश्यकता है। यह लेख स्तन कैंसर के खिलाफ समुद्री एल्कलॉइड की कार्रवाई के तंत्र का गहराई से पता लगाता है और उनके नैदानिक ​​अनुप्रयोग की संभावनाओं का अनुमान लगाता है। शोध के गहन होने और विकास की प्रगति के साथ, समुद्री एल्कलॉइड से स्तन कैंसर के उपचार में नई सफलताएँ मिलने की उम्मीद है।
अध्ययन और शोध की दुनिया से अच्छी खबर आई है। भारतीय विज्ञानियों ने समुद्र से ऐसे तत्व निकाले हैं जो स्तन कैंसर ठीक करने में कारगर है। समुद्री बैक्टीरिया से ऐसे यौगिकों की पहचान की गई है, जो कैंसर कोशिकाओं को कमजोर करने और उनके जीवन रक्षा तंत्र को नष्ट करने में सक्षम हैं।
ये यौगिक एंजाइम, एनयूडीटी-5 को लक्षित करते हैं। इस एंजाइम को ब्लाक करके यौगिकों से कैंसर कोशिकाओं की ताकत खत्म हो सकती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि स्वस्थ कोशिकाओं को कोई नुकसान नहीं होगा।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रिसर्च एसोसिएट रहे डा. अमित वर्तमान में बेंगलुरु स्थित कंपनी में नैनो बायोटेक्नोलाजिस्ट के रूप मेंं कार्यरत हैं। वह करीब दो वर्ष से इस दिशा में शोध कर रहे हैं। बताते हैं कि स्तन कैंसर से दुनियाभर के तमाम महिलाएं पीड़ि हैं। इसके इलाज के लिए जो भी उपाय अभी हैं वे बहुत प्रभावी नहीं होते। इनमें गंभीर दुष्प्रभाव भी सामने आते हैं।
यही कारण है कि नई खोज अहम है। नए यौगिक जो खोजे गए हैं वे कैंसर कोशिकाओं को सीधे नुकसान पहुंचाते हैं। इससे इलाज का तरीका बदल सकता है। मरीजों को दुष्प्रभाव से भी बचाया जा सकेगा। समुद्र में पाए गए हजारों बैक्टीरिया से यौगिकों की वर्चुअल स्क्रीनिंग की गई। उनमें चार ऐसे यौगिक मिले, जो एनयूडीटी-5 एंजाइम के साथ बेहतरीन तरीके से प्रतिक्रिया करते हैं।
विशेष साइट्स पर एक मजबूत बंधन बनाते हैं ये यौगिक
ये यौगिक कैंसर कोशिकाओं में स्थित विशेष साइट्स पर एक मजबूत बंधन बनाते हैं। जो एंजाइम को अपनी कार्य क्षमता में हस्तक्षेप करने से रोकते हैं। इस तरह कैंसर कोशिकाओं को अपनी ऊर्जा और डीएनए मरम्मत के लिए जरूरी संसाधन नहीं मिल पाते। इससे उनका अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है। शोध की महत्वपूर्ण बात यह है कि इन यौगिकों में उच्च स्थिरता पाई गई है।

उनका संरचनात्मक स्थायित्व 200 नैनोसेकंड्स तक बना रहा, जो संकेत करता है कि ये यौगिक वास्तविक जीवन में भी प्रभावी हो सकते हैं। इन यौगिकों ने फ्री एनर्जी लैंडस्केप विश्लेषण में भी बेहतरीन परिणाम दिखाए हैं। वे दवाओं के विकास में अहम भूमिका निभा सकते हैं। यह खोज सिर्फ स्तन कैंसर के उपचार में ही नहीं, बल्कि भविष्य में कैंसर के अन्य रूपों के लिए भी आशा की किरण साबित हो सकती है।
समुद्र के अदृश्य संसाधनों को पहचानकर भारतीय वैज्ञानिकों ने यह साबित कर दिया है कि प्राकृतिक संसाधनों का सही इस्तेमाल जीवन रक्षक दवाओं के लिए हो सकता है। यह खोज भारत को वैश्विक स्तर पर कैंसर शोध में नई पहचान दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण पड़ाव हो सकती है। समुद्र के रहस्यों से मिली इस नई उम्मीद ने यह दिखाया है कि विज्ञान के क्षेत्र में भारतीय नवाचार नई दिशा की ओर अग्रसर है।
 

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